नई दिल्ली। उर्वरकों को लेकर रिकॉर्ड बनाती कीमतों के बीच सब्सिडी बजट मोर्चे पर सरकार को कुछ राहत मिलती दिख रही है। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट हुई है।
बढ़ती मांग के चलते यूरिया की कीमतें 45 फीसदी तक घट गईं हैं। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। जो गिरकर अब 550 डॉलर प्रति टन तक आ गईं हैं।
भारत ने 980 डॉलर प्रति टन की कीमत तक यूरिया खरीदा था। देश में करीब 350 लाख टन यूरिया की खपत होती है। उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भारत यूरिया आयात का टेंडर जारी करेगा।
संभावना है कि भारत को 540 डॉलर प्रति टन की कीमत में आयात सौदा मिल जाएगा। इससे किसानों को यूरिया की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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इसके बाद यह करीब 42 हजार रुपये प्रति टन हो जाएगा। एक समय यूरिया की कीमत करीब 75 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गई थी।
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कीमतों में आई गिरावट के चलते सरकार को सब्सिडी के मोर्चे पर उच्चतम स्तर पर कीमत के मुकाबले करीब 30 हजार रुपए प्रति टन की बचत होगी। ------ लोकेन्द्र नरवार
कृषकों द्वारा अपनी फसल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है। यूरिया फसलों की वृद्धि के लिए काफी जरूरी है। परंतु, कुछ फसलों को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है। यूरिया का उपयोग खेत में काफी मात्रा में किया जाता है। यूरिया डालने के कुछ समय के उपरांत खेत की उपज प्रभावित होने लगती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है, जो कि नाइट्रोजन का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। यह फसलों की बढ़वार के लिए काफी आवश्यक है। लेकिन कुछ फसलों को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है।
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